वो सुंदर चाँद सी है, वो बहारो की बयार है
वो जगमग रात पूनम की, वो परियो का श्रृंगार है
सुनहरी वादियो सी है, वो चंचल है हवाओ सी
उतरकर हिमगिरि से आती नदियों के बहाव सी
वो मेरी ज़िंदगी भर की दुआओं का हिसाब है
वो मेरी रोशनी है, वो ही मेरा आफताब है
वो मरहम है मेरा, वो मेरे जख्मों की दवाई है
ऊपर है खुदा एक और नीचे मेरा वो इलाही है
कितना कुछ भी लिख दूँ पर बयाँ मैं कर नही सकता
अपने लफ़्ज़ों में उसको नुमाया कर नही सकता
आखिर ये ही है मेरे इस तरन्नुम के तराने का
वो मेरी ज़िंदगी ओर इस कलम दोनो की स्याही है